शनिवार, 21 अप्रैल 2018
दशा फल - अन्तर्दशा फलित नियम 2 ( Nitin Kashyap )
महादशानाथ और अन्तर्दशानाथ के मध्य का संबंध और सहधर्म ही दशा की दिशा तय करता है। किसी भी ग्रह की महादशा में उसी ग्रह की अन्तर्दशा परिणाम देने में सक्षम नहीं होती चाहे महादशानाथ कारक हो अथवा मारक। जब महादशा और अन्तर्दशा नाथ दोनों एक ही जैसे भावो के स्वामी हो तो उन्हें सह धर्मी कहा जाता है |
• त्रिकोण के स्वामी – 1, 5, और 9 भाव
• केंद्र के स्वामी – 1, 4, 7 और 10 भाव
• त्रिक भाव – 6, 8 और 12 भाव
• उपचय भाव – 3, 6, 10 और 11 भाव
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