मंगलवार, 27 मार्च 2018

मूल त्रिकोण राशि से जानिये कौन किस का शत्रु या मित्र ( Part -1 ) Nitin Ka...









सूर्य, मंगल और गुरु की जो राशि पहले आये वह उसकी मूल त्रिकोण राशि है | शुक्र, बुध और शनि की जो राशि बाद में आये वह उनकी मूल त्रिकोण राशि है | चन्द्र की मूल त्रिकोण राशि वृषभ है जो की उसका अपना घर नही है |
शत्रु ग्रह
• 3 भाव का स्वामी
• 6 भाव का स्वामी
• 7 भाव का स्वामी
• 10 भाव का स्वामी
• 11 भाव का स्वामी
ग्रहों की मूल त्रिकोण राशियाँ
• सूर्य - सिंह
• चन्द्र - वृषभ
• बुध - कन्या
• शुक्र - तुला
• मंगल - मेष
• गुरु - धनु


• शनि - कुम्भ





शुक्रवार, 16 मार्च 2018

शुभ ग्रह बुरे भावो में क्या फल करेंगे ?





ज्योतिष में गुरु, बुध और शुक्र - 6, 8 और 12 भाव |

गुरु छठे भाव में, बुध अष्टम भाव में और शुक्र बारहवे घर में क्या फल देता है ? एक सामान्य नियम है की त्रिक भावो में बैठा ग्रह बुरे परिणाम देता है, परन्तु यह नियम सभी जगह लागू नही होता है | वैदिक ज्योतिष की किताबो में इसका वर्णन है | कुंडली में शुभ ग्रह त्रिक स्थान में हो तो कुंडली का फल अलग होता है| जातक भरणम अध्याय १७ श्लोक ५४ के अनुसार, छठे भाव में स्थित गुरु गीत संगीत में रूचि, ख्याति प्राप्त करने के अभिलाषा होती है| आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है, और आलसी होता है |
मन्त्रेश्वर के अनुसार
अष्टम में स्थित शुक्र व्यक्ति को सुख समृद्धि प्रदान करता है | सत्ता पक्ष से सम्मान प्राप्त होता है|

नवांश का फल जानने के लिए https://youtu.be/YXuKguY2MRE
बाधक ग्रह का फल जानने के लिए https://youtu.be/4eFwcHU4BxM
विपरीत राज योग का फल जानिए https://youtu.be/PueivWHkA8c
विपरीत राज योग के लिए

लग्न से 6, 7 और 8 भाव में यदि नैसर्गिक शुभ ग्रह हो तो अधि योग का निर्माण होता है|

सोमवार, 12 मार्च 2018

रज्जु - मूसल - नल योग ( Nitin Kashyap )





ज्योतिष में राशि का फलित कितना आवश्यक है ? आम तौर पर ज्योतिषी राशियों के गुण धर्म का विचार किये बगैर ही फलित कर देते है | राशियों का फल केवल ग्रह के उच्च नीच या मित्र शत्रु तक सीमित कर दिया है | Nitin Kashyap इस विडियो में राशियों का कुंडली में कैसे इस्तेमाल करते है वह बता रहे हैं |

चर राशियाँ – मेष, कर्क, तुला और मकर (1-4-7-10).

स्थिर राशियाँ – वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ (2-5-8-11).

द्विस्वभाव राशियाँ – मिथुन, कन्या, धनु, मीन (3-6-9-12).

बृहत् पराशर होरा शास्त्र अध्याय 36 के अनुसार यदि लग्न और अधिकतर ग्रह चर राशि में हो तो रज्जू योग होता है | यदि लग्न और अधिकतर ग्रह स्थिर राशि में हो तो मूसल योग होता है | यदि लग्न और अधिकतर ग्रह द्विस्वाभाव राशि में हो तो नल योग में व्यक्ति का जन्म होता है |

गुरुवार, 8 मार्च 2018

South Indian Kundali Vs North Indian Kundali ( Nitin Kashyap )





दक्षिण भारतीय कुंडली में राशियाँ स्थिर होती है और भाव बदल दिए जाते है |जहां भी लग्न होता है वहा २ समानान्तर रेखाएं खींच दी जाती है | वहीँ उत्तर भारत में कुंडली में भाव स्थिर होते है और राशियाँ बदल जाती है | ऊपर की और मध्य में लग्न माना जाता है | राशियों को संख्या के रूप में लिखा जाता है | आइये जानते है की
• Advantage of North Indian chart ?
• Advantage of South Indian chart ?
• How to cast South Indian chart ?
• How to read South Indian chart ?
North Indian method: In the north Indian method of casting the chart, the ascendant or lagna is always kept at the top center and the signs are denoted by their zodiacal sequence number.
South Indian method: In the south Indian style of casting a chart, the position of the zodiacal signs, from Aries to Pisces always remains fixed. Astrologers draw two parallel lines at the top corner of the ascendant, the way we cross a bank cheque, to mark the ascendant.
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बुधवार, 7 मार्च 2018

केंद्र अधिपति दोष कुंडली में क्या है ? ( Nitin Kashyap )


Nitin Kashyap ने इस विडियो में केन्द्राधिपति दोष पर विचार रखें है |


• कुंडली में केंद्र स्थान के स्वामी यदि नैसर्गिक शुभ ग्रह हो तो इस दोष की सम्भावना रहती है |
• यदि लग्न, चौथे, सांतवे या दसवे भाव का स्वामी होने पर यह दोष लगता है|• केंद्र के मालिक बनने के कारण शुभ ग्रह सम हो जाते है |
• गुरु, बुध, शुक्र और चन्द्र के कारण यह दोष लगता है |

शुभ ग्रहों के केन्द्राधिपति होने के दोष गुरु और शुक्र के संबंध में विशेष हैं। ये ग्रह केन्द्रा धिपति होकर मारक स्थान (दूसरे और सातवें भाव) में हों या इनके अधिपति हो तो बलवान मारक बनते हैं। केन्द्राधिपति दोष शुक्र की तुलना में बुध का कम और बुध की तुलना में चंद्र का कम होता है।